गांधीजी का जीवन और उनके जीवनसे सिख

हेल्लो फ्रेंड्स Be Inspired के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गांधीजी की story बताएँगे जिसे आप पढ़कर motivate हो सके |

भारत में इस्विसन 1600 से ब्रिटिशो ने व्यवसाय करने के नाम पर सत्ता को धीरे धीरे अपने हाथ में लेने की कोशिश शरू की | कई राजा महाराजा और rani लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना ने अपने राज्य को बचाने के काफी प्रयत्न किये लेकिन ब्रिटिशों की कूटनीति और राजाओ के बिच आपसी मतभेद के कारण वह सफल नहीं हो पाए| 1858 के स्वतंत्रसंग्राम की लड़ाई में भी भारत के लोगो और राजाओं की एकता में कमी की वजह से सफल नहीं हो पायी|

ब्रिटिशों का दमन भारत पर बढ़ रहा था और भारत में ही भारत के लोगो को गुलाम बनाकर रखा जाता था| भारत की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही थी| भारत के लोग आजादी की मांग कर रहे थे लेकिन अयोग्य मार्ग की वजह से वह सफल नहीं हो पा रहे थे| महत्मा गांधीजी ने भारत को आजादी देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और पुरे देश को एक नई राह दी जिसे अपनाकर देश को आजादी प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई|

आज के इस लेख में हम आपको गांधीजी जीवनी बताएँगे जिसे आप पढ़कर मोटीवेट हो सके|

गांधीजी का जन्म और परिवार

गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में अभी के गुजरात राज्य के पोरबंदर में हुआ था| वे गांधीजी, बापू, father of the nation जैसे कई नाम से जाने जाते थे लेकिन उनका नाम था मोहनदास करमचन्द गाँधी | उनके पिताजी करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था| वह अपने पिता की चौथी संतान थे| गांधीजी के पिताजी करमचंद उत्तमचंद गाँधी पोरबंदर स्टेट में दीवान थे| उस वक्त दीवान का पद काफी ऊँचा गिना जाता था इस लिए उन्होंने अपने पुत्रो को पढ़ाने में कोइ भी कमी नहीं रहने दी| गांधीजी के पिताजी ने चार शादी की थी| गांधीजी के पिताजी ने बाद में पोरबंदर में दीवान का पद छोड़ कर राजकोट के ठाकुर साहेब के यहाँ कोउन्सेल्लोर का पद स्वीकार किया| और बाद में वह राजकोट के भी दीवान बने|

“गांधीजी कहते है की श्रवण और राजा हरिश्चंद्र की कहानी हमेशा ही उनको प्रेरित करती है|”

गांधीजी का शुरूआती जीवन

मोहनदास बचपन से ही शर्माते बहोत थे क्योकि वह उनकी प्रकृति में था| वे पढ़ने में बहोत खास नहीं थे और वे हमेशा ही अपने handwritting को लेकर परेशान थे| उन्होंने 11 वर्ष की उम्र में राजकोट में ही अल्फ्रेड हाईस्कूल को ज्वाइन किया| वह मध्यम स्टूडेंट होने की वजह से उनकी पढाई इतनी असरदार नहीं रही| उनको कभी खेल में रूचि नहीं थी पर वह हमेशा ही बुक्स को पढ़ने में अपना समय व्यतीत करते थे| उन्होंने उस वक्त स्कूल में कई कम्पटीशन भी जीती थी|
Gandhiji ने अपना ग्रेजुएशन अहमदाबाद और बाद में भावनगर की शामलदाश college में से करना चाहते थे लेकिन बाद में वह नहीं कर पाए|

गांधीजी का विवाह

1883 में मात्र 13 वर्ष की उम्र में उनकी शादी 14 साल उम्रकी कस्तूरबा सी करदी गयी| शादी और अन्य रिवाजो की वजह से उन्होंने अपनी एक साल इ पढाई भी गवाई थी|गांधीजी कहते है की जब उनकी शादी हुई तब उनको इसका मतलब ही ज्ञात नहीं था| वह ऐसा मानते थे की शादी मतलब नये कपडे पहनना और मिठाई खाना| बाद में वह लिखते भी है की वह दिन भर और पढाई के समय भी अपनी पत्नी के बारे में ही सोचा करते थे और इस वजह से उनकी पढाई भी काफी ख़राब हुई थी|

Gandhiji ने अपनी पहली संतान कुछ दिनों में ही खो देने के कारण दुखी हुए थे| गांधीजी की कुल चार संतान थी हीरालाल, मणिलाल,रामदास, और देवदास|

Gandhiji in London

पिता के देहांत के बाद आर्थिक परिस्थिति ख़राब हो गयी थी| पहले पुत्र को खोने के बाद फिरसे कस्तूरबा प्रग्नेट थी और ऐसे में परिवार को ये मंजूर नहीं था की वे विदेश पढ़ने जाए| बहोत कोशिश के बाद माँता पुतलीबाई की मंजूरी से , कस्तुरबेन की सहमती से और अपने बड़े भाई की आर्थिक मदद की वजह से वे london पढ़ने के लिए गए और वहा पर उन्होंने constituent college of University of London में से अपनी लॉ की पढाई की| 22 साल की उम्र में वह अपनी पढाई पूरी करके भारत आये| जब वे london में थे तब ही उनकी माँ का देहांत हुआ था|

Gandhiji in South Africa

काठियावाड़ के मुस्लिम बिज़नसमेन सेठ अब्दुल्लाह ने उन्हें अपने Johannesburg स्थित भतीजे का केस लड़ने के लिए Gandhiji को साउथ आफ्रिका भेजा| गांधीजी ने एक साल का contract करने के बाद आफ्रिका में Colony of Natal, South Africa, में पहुचे जो की ब्रिटिशों का ही एक भाग था|

गांधीजी के वहा पहुचते ही उनके साथ त्वचा के रंग के कारण भेदभाव होने लगा| उनको Pietermaritzburg के रेलवे स्टेशन पर गाडी से धक्के देकर निचे भी उतार दिया गया था| अब्दुल्लाह की कंपनी का केस 1894 में ख़त्म होने के बाद जबब वे वापस लोटना चाहते थे तब वह एक नया बिल प्रसार हुआ जिसकी वजह से उनको आफ्रिका में ही रुकना पड़ा | गांधीजी ने इस बिल का विरोध करना शुरू किया और लोगो का समर्थन भी माँगा| गांधीजी को बढ़ता समर्थन देख कर वहा के एक व्यक्ति ने जो की बिल के समर्थन में था उसने डर्बन में गांधीजी पर हमला कर दिया| गांधीजी ने सद्भावनापूर्ण व्यवहार कर उनके खिलाफ कोई भी कानूनी लड़त न करने का फैसला किया|

1900 में गांधीजी ने Boer War के दौरान 11000 लोगो का सर्थन प्राप्त किया और उनको इस युद्ध में british के सहयोग देने के लिए और वालंटियर कार्य करने के लिए सहमत किया| उन समर्थको ने मेडिकल में अपना सहयोग दिया था| इस अद्भुत कार्य के लिए गांधीजी को Queen’s South Africa Medal से सन्मानित भी किया गया था|

1906 में उन्होंने 11 sept के दिन Johannesburg में एक बड़ी मीटिंग का आयोजन किया और वहा पर उन्होंने अपने जीवन का सार रूप सत्याग्रह की शरुआत की| Gandhiji के पास लोगो के साथ सम्बन्ध बनाने की गजब कला थी उस वजह से उन्होंने लोगो को इस सत्याग्रह में जोड़ा और वहा अपना सत्याग्रह सफल किया| 1910 में गांधीजी ने Tolstoy Farm की स्थापना की| गांधीजी के सत्याग्रह से रंगभेद की वजह से परेशान साउथ अफ्रीका के लोगो को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ|

Portrait image of mahatma Gandhi
Gandhiji

गांधीजी की भारत वापसी

गांधीजी 1915 में भारत फिर से वापिस लौटे| गांधीजी Gopal Krishna Gokhale को अपना राजनितिक गुरु मानते थे| तब Gopal Krishna Gokhale indian national congress के मुख्या नेताo में से एक थे| गाँधीजी ने आते ही 1917 में अपना पहला सत्याग्रह चंपारण से शुरू किया| 1918 में गांधीजी ने गुजरात में अपना पहला सत्याग्रह खेडा से शुरू किया| जैसे जैसे लोग गांधीजी के सत्याग्रह से जुड़ने लगे वैसे वैसे उनको गांधीजी के वास्तविक रूप का परिचय होने लगा|

1919 में उन्होंने खिलाफत आन्दोलन का भी समर्थन किया और हिन्दू-मुस्लिम के एकता का परिचय दिया| 1920 में वह INC के प्रमुख बने|

नमक सत्याग्रह (Salt March)

ब्रिटिशो के भारतीय पर दमन और ख़राब व्यावसायिक निति के कारण भारतीयों की परेशानी देखकर गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की| गांधीजी के प्रमुख सत्याग्रह में Salt Satyagraha (Salt March) को बहोत ही विशेष महत्व दिया जाता है|

Mahatma Gandhi ने अपने 78 सदस्यों के साथ 12 मार्च 1930 के दिन अपने आश्रम से Salt March शुरू की| Salt March का कुल अंतर 388 किलोमीटर का था और वह Gandhiji और उनके सहयोगी ने 25 दिनों में पूरा किया| 12 मार्च से शुरू हुई यात्रा 6 april को पूर्ण हुई| salt मार्च के जारी वह लोगो को स्वदेशी अपनाने की सलाह देते थे| गांधीजी ने निर्धारित स्थल दांडी जाकर थोडा नमक लेकर एक नए सत्याग्रह की शुरुआत की| इस मार्च में वे रोज के 15 से 20 किलोमीटर तक चलते थे| जैसे जैसे दिन गुजरे वैसे लोगो में जाग्रति बढती गयी| लोगो ने पुरे देश में इ मोडल को स्थानीय स्टार पर शुरू किया|

इस सत्याग्रह देश विदेश में भी अच्छा समर्थन प्राप्त हुआ|

Quit India movement

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान Mahatma Gandhi ने ब्रटिश की किसी भी प्रकार की मदद के लिए मना कर दिया था और 1942 में गांधीजी ने Quit India movement शुरू किया| गांधीजी ने इसे धर्मयुद्ध कहा और लोगो को संबोधन देते समय वे इतने भावुक हुए की लोगो को “करो या मरो” का सूत्र भी दिया| गांधीजी ने कई जगह पर लोगो के साथ सीधा संवाद किया कई रैली भी की| इसी दौरान गांधीजी को दो वर्ष के लिए जेल में भी रहना पड़ा था|

गांधीजी और भारत का विभाजन

गांधीजी हमेशा ही भारत के विभाजन के खिलाफ रहे थे और उन्होंने इसके लिए आमरण उपवास भी शुरू किये थे|

मृत्यु

Mahatma Gandhi जैसा व्यक्ति मर शकता है लेकिन उनके व्यक्तित्व की असर आज भी लोगो में दिखाई दे पड़ती है| 30 january के दिन गांधीजी की गोडसे के द्वारा हत्या कर दी गयी| गांधीजी का अंतिम संस्कार हिन्दू रीती रिवाजो से किया गया|

गांधीजी के जीवन से सिख

गांधीजी ने अपने जीवन में रविन्द्रनाथ टैगोर, टॉलस्टॉय, श्रीमद राजचंद्र, गोपाल कृष्ण गोखले, Religious texts, सुफिस्म, से बहोत कुछ सिखा है|

हम गांधीजी से उनके दिए हुए कुछ सूत्रों को अपना ले तो भी ये हमारे और मानवजाति के लिए काफी असरकारक हो सकता है| गांधीजी ने अपने जीवन में हमेशा ही सत्य को सबसे पहले स्थान दिया है| हमें भी अपने जीवन में सत्य को पहले स्थान देना चाहिए| अहिंसा के सन्दर्भ में गांधीजी को कुछ अलग तरह से दर्शाया गया है| उसके सन्दर्भ में हम किसी और दिन चर्चा करेंगे|

अगर कोई भी व्यक्ति सत्य को साथ लेकर अपना फर्ज निभएंगा तो उसकी कभी भी हार नहीं हो सकती है| Mahatma Gandhi ने हमेशा सत्य के साथ परिश्रम में भी विश्वाश किया है| वह अपने जीवन में कुछ आदर्श को अपना कर चलते थे|

अगर आप गांधीजी से कुछ सिखाना और उनको नजदीक से जानना चाहते है तो आपको उनकी आत्मकथा अवश्य पढ़नी चाहिए|

अब्राहम लिंकन के बारे में पढ़ने के लिए यह क्लिक करे

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