यह कहानी हमारी आने वाली बुक 32 Hindi Short Story for kids with moral का ही एक भाग है| इन Hindi story को पढ़ने या बालको को सुनाने से उनमे एक नए संस्कार को स्थापित किया जा सकता है| आज की यह कहानी “चौथा पाठ Hindi Short Story for kids with moral ” ईक नयी सिख देने वाली है| पहले हम इस स्टोरी को पूर्ण करते है बाद में उसके मोरल(सिख) पर बात करेंगे|
चौथा पाठ Hindi Short Story for kids with moral
रमेश और महेश दोनों एक कक्षा में पढ़ते थे| दोनों एक गाव के और एक ही गली में रहते थे जिसकी वजह से वे दोनों साथ ही पढ़ते लिखते थे|
अभी उनकी एक्साम चल रही थी और दोनों ने साथ में पढ़ने के लिए बेठे थे| कल दोनों को “सामाजिक विज्ञान” का पेपर था इस लिए वे दोनों पुराण पेपर को सोल्व कर रहे थे| रमेश अपनी ले में अपने प्रश्न को लिख रहा था लेकिन महेश अचानक से रुक गया| महेश को जवाब न लिखते देख कर रमेश में पूछा,
रमेश : क्या हुआ?
महेश: गांधीजी वाला सवाल?
रमेश: चौथा पाठ(फोर्थ लेसन)
दूसरी और बेठे हुए रमेश के दादाजी ये सब सुन रहे थे| उन्होंने जब गांधीजी के बारे में रमेश ने सिर्फ चौथा पाठ जवाब दिया उससे वे विचार कराने लगे की “क्या इन बालको के लिए क्या गांधीजी इन बालको के लिए सिर्फ पाठ्यक्रम का एक चैप्टर, इतिहास का पात्र, भूतकाल की विभूति, परीक्षा में पूछे जाने वाला प्रश्न ही है|”
“क्या गाँधीजी इन बालको के लिए कोई जिवंत व्यक्ति नहीं है? “
“क्या गांधी जी हमारी पवित्र भूमि में जन्म लेने वाले एक महा मानव नहीं है?”
“क्या ये आज के बच्चे गांधी जी को सिर्फ निबंध का विषय या एग्जाम का क्वेश्चन ही समजते है ?”
“क्या गांधीजी इस्नके लिए सिर्फ चौथा पाठ ही है जो पढके याद कर लिया, एग्जाम में लिख के मार्क्स प्राप्त भी लार लिया और अब सब ख़तम?”
ये सभी विचार के बाद दादाजी ने सोचा की इन बच्चो को कुछ समजाना पड़ेगा इस लिए दादाजी बच्चो के पास गए और उन्हें समजाया की,
” गांधीजी हमारे राष्ट्र के पिता है| आपके या आपकी उम्र के कोई भी बच्चे के माता-पिता गाधीजी के समय के होंगे या नहीं भी लेकिन उन सभी ने गांधी के जीवन को देखा या सुना होगा| वे सभी गांधी जी के जवन को ही जीते थे| वे सभी ने गांधीजी के जीवन की बातो को न्यूज़पेपर या रेडियो में सुनी होंगी| उनके लिए गांधीजी आज भी वर्तमान के भी महा पुरुष है सिर्फ भूतकाल के नहीं|”
” जब गांधीजीने हमारे बिच से बिदाई ली थी तब हमें लगता था की हमारे प्रिय स्वजन ने हमारे बिच से बिदाई ली है| आज कल के आपके जैसे बच्चो के लिए गांधी जी सिर्फ एक पाठ्यक्रम का हिस्सा है क्योंकि आपने गांधीजी के जीवन का अनुभव नहीं किया है|”
दादाजी एक निवृत प्रोफेसर थे| उन्होंने बच्चो को समजाय और बाद में अपने रूम में चले गए और चा पी कर सोचने लग गए|
“बालको के लिए अभी महान व्यक्ति कोन है जो उनके आदर्श के रूप में है| पुराने समय के लोगो का अनुभव आज कल कम उपयोग में लिया जाता है और बाद में वे सिर्फ इतिहास बन कर ही रह जाता है|ये बच्चे जब बड़े होगे तब उनके पौत्र के लिए चौथा पाठ कोन होगा|”
दादाजी फिर से बच्चो के रूम में गए और बच्चो से कहा,
” बच्चे, आप इतिहास के पाठ को सिर्फ याद करने हेतु मत पढ़े, उसे समजने का प्रयत्न करे और अपने जीवन में इस तरह के बदलाव भी लाने का प्रयत्न करे| आप अभी आपके जीवन के आदर्श व्यक्ति के जीवन के बारे में पढ़ते होगे, उनके बारे में टेलीविज़न में सुनते या देखते होगे| मेरी आपसे यह सलाह है की आप इन सभी के अच्छे गुणों को सिर्फ पढ़ने या देखने के अलावा अपने जीवन में भी लाने का प्रयास करे| “
“सिर्फ पाठ्यक्रम का ज्ञान प्राप्त करने के अलावा प्रवर्तमान दुनिया का ज्ञान भी हिना चाहिए| भूतकाल का ज्ञान भव्य है लेकिन वर्तमान की सिद्धि भी कम नहीं है | आप लोगो को दोनों और ध्यान देना चाहिए| एक सामान्य व्यक्ति से महान बनने के लिए आपको भूतकाल को अच्छे से समजने की आवश्यकता है साथ ही वर्तमान का भी ज्ञान रखने की आवश्यकता है|”
यह सभी दादाजी से सुनने के बाद रमेश और महेश को समज में आ गया था की गांधीजी सिर्फ चौथा पाठ (Fourth Lesson) नहीं है| उनकी सिर्फ बाते कराने या परीक्षा के सन्दर्भ में याद रखने से कुछ नहीं होगा| चौथा पाठ (Fourth Lesson) हमें उनके जीवन से निष्ठा, पुरुषार्थ, सत्य, अहिंसा जैसे कई आदर्शो को जीवन में प्रमाणिकता से प्राप्त कराने के लिए प्रेरित करता है|
इस तरह से दादाजी के दिए गए ज्ञान को रमेश और महेश ने सही तरह से अपने जीवन में ग्रहण किया
इस कहानी से ज्ञान
(Moral of the story)
पाठ्यक्रम में आने वाले पाठ सिर्फ परीक्षा में अच्छे मार्क्स प्राप्त करने के लिए नहीं है लेकिन उससे कई अधिक जीवन की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए है| इन सभी पुस्तकों और पाठ्यक्रम के पीछे का मुख्य उदेश्य एक अच्छे समाज का निर्माण करना होता है| साथ ही सफलता प्राप्त कर महान व्यक्ति बनने के लिए भूतकाल के पात्रो, घटनाओं के साथ वर्तमान को भी समज कर जीवन में इसे लाने की आवश्यकता है|
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