क्या आप जानते है सूर्यनमस्कार(Surya Namaskar in Hindi) कैसे किया जाता है? अगर नहीं जानते तो हम आपको इस लेख के माध्यम से Surya Namaskar in Hindi कैसे किया जाता है| इसे करते समय कोनसे मंत्र Mantra का प्रयोग करना चाहिए| surya namaskar के फायदे औए क्या सावधानी रखनी चाहिए उन सभी बातो पर अच्छी इनफार्मेशन देंगे|
सूर्यनमस्कार के मंत्र के साथ करने के कई फायदे है(mantra of surya namaskar in hindi with Benefits) और वह व्यक्ति को अनेक व्याधि से मुक्त करने में सक्षम है| हमारे ऋषि मुनि के द्वारा दी गयी Surya Namaskar एक अमूल्य भेट है| आज के कई लोग इसे करते है लेकिन बहोत से लोग इसे मंत्रो के बिना करते है जो की अनुचित है|आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको सूर्यनमस्कार की स्थिति के साथ किस मंत्र का प्रयोग होता है उस सन्दर्भ में विशेष इनफार्मेशन देंगे|
Surya Namaskar की शास्त्रोक्त महत्व
ऋग्वेद में सूर्य के लिए एक सूक्त दिया गया है की “सूर्य अत्मा जगतस्तस्थुषश्च”
अर्थात सूर्य जगत के सभी जीवो का आत्मा है| सूर्य पृथ्वी पर निवास कर रहे सभी जीवो के जीवन दाता है और सूर्यमंडल का आधार है| सूर्य के तिन स्वरुप है आधी भौतिक स्वरुप, आधी दैविक स्वरुप और आध्यात्मिक स्वरुप|
सूर्य सभी शक्ति का मूल स्त्रोत है| Surya Namaskar के द्वारा हम सिर्फ मानव प्रकृति ही नहीं बल्कि व्यक्ति के सर्वांगी विकास के साथ आतंरिक उर्जा को सक्रियता प्रदान कर सकते है|
Surya Namaskar में कुल 12 स्थिति है और यह बारह स्थिति विभिन्न योग एवम प्राणायाम की मिश्र प्रकिया है| इसे सिर्फ शारीरिक प्रक्रिया ही नहीं है बल्कि श्वास की भी क्रिया है जिसे मंत्रो के द्वारा की जाती है| इसे पूरी एकाग्रता, उर्जा, और लय के साथ करना चाहिए| इस तरह से किया गया सूर्यनमस्कार शरीर में प्राणशक्ति का संचार करता है|
Surya Namaskar में सूर्य भगवान के बारह नाम को मन्त्र के रूप में उच्चारण करना होता है और प्रत्येक सूर्यनमस्कार की स्थिति में आधी मिनिट जितना समय देना चाहिए|
Surya Namaskar कैसे और कब शुरू करे|
Surya Namaskar करने का समय सुबह का समय सबसे अनुकूल और अच्छा है| इसे शुरू करने के लिए सूर्य जब उदय हो रहा हो तब उसके सामने (पूर्व दिशा में मुख रखके) दोनों पाँव को आपस में जोड़कर, खड़े रहना चाहिए और श्वास की स्थिति सामान्य रखनी चाहिए|
सूर्यनमस्कार की बारह स्थिति मंत्र के साथ
सूर्यनमस्कार की पहली स्थिति(First Position of Surya Namaskar in Hindi)
सूर्यनमस्कार की पहली स्थिति के लिए मंत्र : ॐ मित्राय नम:
पहली स्थिति कैसे करे : दोनों पैर को एक साथ रख के नमस्कार की मुद्रा में सीधे खड़े रहे| श्वास पूर्ण रूप से बहार निकाले और शरीर को तनाव मुक्त होने दे| इस स्थिति को प्रणाम आसन भी कहा जाता है|
सूर्यनमस्कार की पहली स्थिति से लाभ: इससे शारीरिक और मानसिक संतुलन बढ़ता है| आत्मविश्वास बढ़ता है| आतंरिक चेतना भी जाग्रत होती है|
सूर्यनमस्कार की दूसरी स्थिति(Second Position of Surya Namaskar in Hindi)
सूर्यनमस्कार की दूसरी स्थिति के लिए मंत्र: ॐ रवये नम:
दूसरी स्थिति कैसे करे: धीरे धीरे से दोनों हाथ को कोहनी से मोड बिना ऊपर की और ले जाए| बाद में कमर से पीछे की तरफ जितना हो सके उतना जुके और पैर को सीधा रखे| इस स्थिति को हस्तउत्तान आसन कहा जाता है| इस स्थित को करते समय श्वास लेने की क्रिया करनी है|
सूर्यनमस्कार की दूसरी स्थिति से लाभ: रीड की हड्डीयों में मजबूती के साथ लचीलापन आता है| कंधे, छाती और पेट की स्नायुओं में मजबूती आती है|
सूर्यनमस्कार की तीसरी स्थिति(Third Position of Surya Namaskar in Hindi)
सूर्यनमस्कार की तीसरी स्थिति के लिए मंत्र : ॐ सूर्याय नम:
तीसरी स्थिति कैसे करे: धीरे धीरे शरीर को कमर से आगे की और जुकाए| हाथ की उंगली पैर के पंजें के पास की जमीन को छुए ऐसी स्थिति बनाए इस स्थिति में पैर को सीधे रखे| नाक से घुटने को छूने का प्रयास करे| इस स्थिति को करते समय श्वास को बहार छोड़े| इस स्थिति को पादहस्तासन के रूप में जाना जाता है|
सूर्यनमस्कार की तीसरी स्थिति के लाभ: पेट, पीठ, और पैर के पीछे के हिस्से के स्नायुओं को मजबूती मिलती है| पाचन शक्ति अच्छी होती है और रीड में लचीलापन है|
सूर्यनमस्कार की चौथी स्थिति(Fourth Position of Surya Namaskar in Hindi)
सूर्यनमस्कार की चौथी स्थिति के लिए मंत्र: ॐ भानवे नम:
चौथी स्थिति कैसे करे: दाहिने पैर की उंगलिया जमीन से जुडी रहे इस तरह से पीछे की और ले जाए| बाए पैर का घुटना दोनों हाथ के बिच और बायीं और के छाती के हिस्से को स्पर्श करे उस तरह से रखे| कमर से शरीर को इस तरह से मोड़े की धनुष काआकार बने| सर को पीछे की और झुकाए और नजर से आकाश को देखने का प्रयत्न करे| इस स्थिति में श्वास को धीरे धीरे अन्दर की और लेना है| इसे अश्वारोही मुद्रा के रूप में जाना जाता है|
सूर्यनमस्कार की चौथी स्थिति के लाभ: छाती का हिस्सा अच्छा और मजबूत बनता है| कब्ज और पाचन के सम्बंधित रोग दूर होते है| गर्दन सम्बंधित परेशानी भी दूर होती है |
सूर्यनमस्कार की पांचवी स्थिति(Fifth Position of Surya Namskar)
सूर्यनमस्कार की पांचवी स्थिति के लिए मंत्र: ॐ खगाय नम:
पांचवी स्थिति कैसे करे: बाएँ पैर को भी दाहिने पैर के साथ में रखे| हाथ सीधे रखे और दृष्टि को हाथ से एक फीट की दुरी पर रखे| धीरे धीरे श्वास को छोड़े| इस स्थिति को दंडासन के रूप में जाना जाता है|
पांचवी स्थिति के लाभ: शरीर के पीछे के हिस्से के स्नायु मजबूत होते है| कब्ज और पेट सम्बंधित परेशानी दूर होती है| हाथ में ताकत बढ़ती है|
सूर्यनमस्कार की छट्ठी स्थिति(Sixth Position)
सूर्यनमस्कार की छट्ठी स्थिति के लिए मंत्र: ॐ पूष्णे नम:
छट्ठी स्थिति कैसे करे: हाथ को कोहनी से मोड़ कर घुटने, पैर की उंगली, दोनों हाथ के पंजे और दाढ़ी को जमीन के साथ स्पर्श करवाए| नितंब और कमर को जमीन से थोडा ऊपर की और रखे| इस स्थिति में श्वास को अन्दर नहीं लेना चाहिए| इसे अष्टांग नमस्कार आसान कहा जाता है|
छट्ठी स्थिति के लाभ: हाथ और कंधे की स्नायु में मजबूती आती है| इससे गले की स्नायु भी मजबूत होती है और उसके सम्बंधित बिमारी भी दूर होती है|
सूर्यनमस्कार की सातवी स्थिति(Seventh Position)
सूर्यनमस्कार की सातवी स्थिति के लिए मंत्र: ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
सातवी स्थिति कैसे करे: छट्ठी स्थिति में हाथ और पैर की स्थिति थी उसे वेसे ही रहने दे| मस्तक को ऊपर की और उठाये और हाथ को सीधे करे जिसे पीछे की और धनुष के आकर जैसी स्थिति बने| इस स्थिति में धीरे धीरे श्वास को अन्दर ले| इस स्थिति को सुर्यासन कहा जाता है|
सातवी स्थिति के लाभ: रीड में मजबूती आती है| थाईरोड़ की समस्या में राहत मिलती है|
सूर्यनमस्कार की आठवी स्थिति(Eighth Position)
सूर्यनमस्कार की आठवी स्थिति के लिए मंत्र: ॐ मरीचये नमः
आठवी स्थिति कैसे करे: नितम्बों को धीरे धीरे ऊपर की और उठाये| सर दोनों हाथ के बिच रहे और निचे की और जुका रहे ऐसी स्थिति रखे| दोनों पैर के पंजे जमीं से सटे हुए रहने चाहिए| धीरे धीरे श्वास को छोड़ते हुए अंतिम स्थिति में आये| इस स्थिति को पर्वतासन कहा जाता है|
आठवी स्थिति के लाभ: हाथ, कंधे और पैर के स्नायु मजबूत होते है| मगज में रक्त का प्रवाह संतुलित होने से मानसिक संतुलन भी बढ़ता है|
सूर्यनमस्कार की नवमीं स्थिति(Nineth Position)
सूर्यनमस्कार की नवमीं स्थिति के लिए मंत्र: ॐ आदित्याय नमः
नवमीं स्थिति कैसे करे: यह स्थिति चौथी स्थिति से मिलती हुई है| जिसमे बाए पैर को आगे ले कर हाथ के बिच में बाए पैर के पंजे को रखे| शरीर को धनुष आकर का बनाने के लिए ऊपर की और दृष्टि करे| अच्छे से समजने के लिए आकृति का सहारा ले| धीरे धीरे श्वास को अन्दर भरे|
नवमीं स्थिति के लाभ: इससे नितम्ब मजबूत होते है और कंठ रोग को दूर करने में सहायता मिलती है|
सूर्यनमस्कार की दसवीं स्थिति(Tenth Position)
सूर्यनमस्कार की दसवीं स्थिति के लिए मंत्र: ॐ सवित्रे नमः
दसवीं स्थिति कैसे करे: यह स्थिति भी तीसरी स्थिति के अनुरूप ही है| पैर को सीधा रखके कमर में से शरीर को झुकाए और हाथ को पैर के पंजे के पास में जमीन से लगाए| सर से घुटने को छूने का प्रयत्न करे| यह स्थिति करते समय श्वास को बहार छोड़े|
दसवीं स्थिति के लाभ: सर में रक्त का परिभ्रमण बढ़ने से याद शक्ति में बढ़ोतरी होती है| मानसिक संतुलन प्राप्त होता है|
सूर्यनमस्कार की ग्यारहवी स्थिति(Eleventh Position)
सूर्यनमस्कार की ग्यारहवी स्थिति के लिए मंत्र: ॐ अर्काय नमः
ग्यारहवी स्थिति कैसे करे: यह स्थिति दुसरे नंबर की स्थिति से अनुरूप है| जहा हाथ को शरीर के उपर ले जाकर कमर से शरीर को पीछे की और झुकाना है| इस स्थिति में श्वास को अन्दर भरे| दृष्टि उंगली पर रखने का प्रयास करे|
ग्यारहवी स्थिति से लाभ: शरीर का संतुलन बढ़ता है| जिगर, अग्न्याशय और आंतों को मजबूती मिलती है|
सूर्यनमस्कार की बारहवी स्थिति(Twelfth Position)
सूर्यनमस्कार की बारहवी स्थिति के लिए मंत्र: ॐ भास्कराय नमः
बारहवी स्थिति कैसे करे: यह स्थित पहली स्थिति के सामान ही है| इसमे नमस्कार की मुद्रा में स्थित होना है| इस स्थिति में शरीर को पूर्ण रूप से ढीला कर देना है| इस स्थिति में आते समय श्वास को धीरे धीरे छोड़ना है|
बारहवी स्थिति के लाभ: इस स्थिति के लाभ प्रथम स्थिति के अनुसार ही है| शरीर और मन संतुलित होता है और एक ऊर्जावान होने का अहसास होता है|
फायदे(Benefit of surya namskar)
- सूर्य नमस्कार करने से शरीर में लचीलापन आता है|
- विद्यार्थी के लिए सूर्य नमस्कार करने से याद शक्ति बढती है| चरित्र अच्छा बनता है और जीवन में ध्येय को प्राप्त करने की जिज्ञासा बढती है|
- सूर्य नमस्कार करने से इन्द्रियों जाग्रत एवम सात्विक बनती है|
- इसे करने में कोई साधन की आवश्यकता नहीं है आसानी से किया जा सकता है|
- सूर्य के प्रकाश में से विटामिन D की प्राप्ति होती है जो शरीर और खास कर हड्डी के मजबूती के लिय काफी लाभकारी है|
- रोग प्रतिकार शक्ति अच्छी बनती है|
- शारीरिक स्थिरता, मानसिक संतुलन, बौधिक परिपक्वता और आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होती है|
सूर्य नमस्कार करते समय किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए
- बीमार व्यक्ति, और स्त्री जिसने गर्भ को धारण किया हो या पीरियड चला रहे है उसे नहीं करना चाहिए|
- सूर्य नमस्कार बाद शरीर के तनाव को कम करने और शवासन करना चाहिए|
- इसे करते समय कभी भी शरीर के विशेष स्थान पर अधिक ज्यादा तकलीफ हो ऐसा नहीं करना चाहिए| अधिक जोर से श्वास लेना या छोड़ना नहीं चाहिए|
- सूर्य नमस्कार करते समय श्वास नाक से ही लेनी चाहिए नहीं की मुख से|
- आठ साल से बड़ी उम्र का कोई भी व्यक्ति इसे कर सकता है| शुरू के दिनों में इसे करने की संख्या कम रखे बाद में धीरे धीरे इसे बढाए|
- बारह स्थिति के पूर्ण होने पर एक सूर्य नमस्कार माना जाता है, शुरू में ऐसे दिन में दो करने चाहिए बाद में बढ़ा सकते है|
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आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपके साथ Surya namskar in Hindi with Mantra and benefits पर काफी अच्छी इनफार्मेशन दी है| हमें आशा है की आपको हमारा यह लेख Surya namskar in Hindi पसंद आया होगा| अगर इससे आपकी अच्छी इनफार्मेशन मिल है तो अधिक से अधिक लोगो तक इसे शेयर करे|
Mantra of Surya Namaskar in Hindi with Benefits आर्टिकल के साथ आपको किसी भी प्रकार क्वेरी हो तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते है हम आपको अवश्य संतोष कारक जवाब देंगे| धन्यवाद|
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