राजयोग(Rajyog in Astrology)। क्या आप जानते है ज्योतिष में राजयोग (Rajyog in astrology) क्या होता है कैसे बंता है और उसके फल क्या होते है?
Rajyoga in Hindi
अगर आप ज्योतिष विषय मे रुचि रखते है और आपको राजयोग के बारे मे जानना है की यह कैसे फल देता है(How Rajyoga in Astrology give its result), कैसे बनाता है(How rajyoga formed in astrology) और महत्व क्या है(What is importance of Rajyoga) तो हमारा यह लेख पढे जिसमे हमने आपसे राजयोग के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी(Full information about rajyog in Hindi) हिन्दी मे आपसे शेर की है|
ज्योतिष मे राजयोग क्या होता है? (What is Rajyog in Astrology in Hindi?)
ज्योतिष में, “राजयोग” किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों के विभिन्न संयोजन से बनाता है जो की जीवन में सफलता, शक्ति, अधिकार और समृद्धि की संभावना का संकेत देता है। “राजयोग” शब्द संस्कृत से लिया गया है, जहाँ “राज” का अर्थ है “राजा” और “योग” का अर्थ है “संयोजन”। विभिन्न प्रकार के राजयोग होते हैं, यह प्रत्येक जन्म कुंडली में विशिष्ट ग्रह की विविध स्थिति द्वारा निर्मित होते हैं। राजयोग के माद्ध्यम से जातक सत्ता, मान सन्मान, यश और सम्पति को प्राप्त करता है|
ज्योतिष में कई तरह के राजयोग दर्शाए गए है| ज्योतिष में दर्शाए गए राजयोग का फल राजयोग की प्रबलता पर आधारित होता है| कई बार ऐसा दिखने को मिलता है की ज्योतिष में दिखाए गए राज योग का फल न मिलने की वजह से लोगो की और नए विद्यार्थीऔ की रूचि ज्योतिष में कम होने लगती है|
कभी कभी कुछ राज योग ऐसे भी होते है जिनका फल जातक को कुछ विशेष परिस्थिति या फिर ग्रह की दशा और अन्तर्दशामें ही मिलता है।
What Affects Rajyoga’s Strength | राजयोग की स्थिति को कैसे देखा जाता है?
राजयोग कई प्रकार के होते है| बहुत से लोगो की जन्म पत्रिका मे आजयोग का निर्माण होता है लेकिन हर किसी के लिए यह फलदायी नहीं होता है| राजयोग के फल के लिए उसकी मजबूत स्थिति है की नहीं उसे देखना चाहिए| यहा हमने आपसे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी है जिससे आप राजयोग का अच्छे से विश्लेषण कर सकते है|
राज योग में निम्न लिखित परिस्थितिया काफी असर करती है|
- ग्रह का बल
- राजयोग ग्रह की दशा
- ग्रह की स्थिति
- ग्रह का वर्गीकरण
ग्रह का बल: ग्रह का बल तय करने के लिए कई तरह की ज्योतिष में अलग अलग व्यवस्था दी गयी है| जैसे की षड्बल, सप्त्वर्गीय बल, ग्रह की नवमांश में स्थिति जैसी कई बातो का ग्रह के बल पर प्रभाव पड़ता है|
राज योग की दशा: राज योग ग्रह की दशा किसीभी राजयोग के लिए सबसे महत्व रखती है|अगर किसीभी शुभ ग्रह या राजयोग कारक ग्रह की दशा जीवन में सही समय पर आना जरूरी है| जीवन में अच्छे ग्रह की दशा सही समय पर न आये तो अच्छे से अच्छा राज योग भी निष्फल हो जाता है|
ग्रह की स्थिति: ग्रह जन्म पत्रिका में कुछ विशेष परिस्थिति से बैठा हुआ होता है| कोई ग्रह उच्च का होता है तो कुछ ग्रह नीच का होता है| कोई ग्रह उच्च का होकर भी नीच का फल देता है तो कोई ग्रह नीच का होकर भी उच्च का फल देता है| ग्रह की विभिन्न वर्गों में क्या स्थिति है उसे भी देखना जरूरी है|
ग्रह का वर्गीकरण: जन्म लग्न के आधार पर ग्रह का वर्गीकरण किया जाता है जिसमे कोनसा ग्रह शुभ है, कोनसा ग्रह अशुभ है, और कोनसा ग्रह सम है| शुभ ग्रह का राजयोग अच्छा फल देता है जब की अशुभ ग्रह की दशा अच्छे से अच्छा राजयोग भी बर्बाद कर देती है|
जन्म पत्रिका में ग्रह की विभिन्न परिस्थिति के हिसाब से कई तरह के योग बनते है| जिसमे से कुछ राजयोग और कुछ विशिष्ट राज योग के नाम से जाने जाते है|
राजयोग (Raj Yoga Formation in Astrology)
ज्योतिष मे हमने पहले भी कहा है की बहुत से राजयोग का है। ज्योतिष के प्राचीन पुसतको मे भी इन राजयोग का वर्णन किया गया है। लेकिन राजयोग मुख्यत्वे चार प्रकार से बनता है|
- केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामी की युति राजयोग का फल देती है|
- केंद्र और त्रिकोण भाव का स्वामी कोई एक ही ग्रह बनता हो ऐसी परिस्थिति में राजयोग का निर्माण होता है|
- केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामी एक दुसरे के भाव में बैठ कर राशी परिवर्तन कर रहे हो|
- केंद्र और त्रिकोण के स्वामी एक दुसरे को अथवा एक दुसरे के भाव को दृष्टि से देख रहे हो ऐसी स्थिति में राज योग बनता है|
पंचमहापुरुष राजयोग (Panchmahapurush Rajyog)
केंद्र और त्रिकोण के स्वामी के अलावा अगर अन्य महत्वपूर्ण राजयोग की बात करे तो वह है पंचमहापुरुष राजयोग (Panchmahapurush Rajyog)। यहा हमें नीचे आपसे उसके संदर्भ मे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी शेर की है| अधोक जानकारी के लिए आप उनके नाम पर क्लिक कर सकते है।
मालव्य योग: यह तब होता है जब शुक्र लग्न से केंद्र में हो। यह विलासिता, आकर्षण, कलात्मक प्रतिभा और रिश्तों में सफलता लाता है।
हंस योग: लग्न से केंद्र में बृहस्पति द्वारा बनता है। यह बुद्धि, आध्यात्मिकता, धन और नेतृत्व गुणों को इंगित करता है।
रुचक योग: यह तब उत्पन्न होता है जब मंगल अपनी राशि में हो या उच्च राशि में हो, केंद्र में हो और नीच राशि में न हो। यह साहस, शक्ति और अधिकार प्रदान करता है।
भद्र योग: जब बुध लग्न से केंद्र में हो तो भद्र योग बनता है। यह बुद्धिमत्ता, संचार कौशल और वाणिज्य में सफलता लाता है।
शश योग तब बनता है जब शनि अपनी ही राशि (मकर या कुंभ) या अपनी उच्च राशि (तुला) में हो और लग्न से केंद्र (1, 4, 7, या 10 वें घर) में हो। योग जातक को अनुशासन, दृढ़ता, जिम्मेदारी, धैर्य और कर्तव्य की मजबूत भावना जैसे गुण प्रदान करता है।
महत्वपूर्ण राज योग(Important Raj Yoga)
- अनफा योग (Anafa yoga)
- सुनफा योग(Sunafa yoga)
- दुर्धरा योग(Durdhara Yoga)
- चंद्राधि योग(Chandradhi Yoga)
- लग्नाधि योग(Lagnadhi Yoga)
- गजकेसरी योग(Gaj Kesari Yoga)
- वेशी योग(Veshi Yoga)
- वोसी योग(Vosi Yoga)
- उभयचारी योग(Ubhaychari Yoga)
- अमलाकिर्ति योग(Amala Kirti Yoga)
- चन्द्र मंगल योग(Chandra Mangal Yoga)
- पर्वत योग(Parvat Yoga)
- शुभ कर्तरी योग(Shubh Kartari Yoga)
- चामर योग(Chamar Yoga)
- काहल योग(Kahal Yoga)
- मालिका योग(Malika Yoga)
- मत्स्य योग(Matsya Yoga)
- मृदंग योग(Mridang Yoga)
- शंख योग(Sankh Yoga)
- श्रीनाथ योग(Shree Nath Yoga)
- भेरी योग(Bheri Yoga)
- अंशावतार योग(Anshavtaar Yoga)
- लक्ष्मी योग(Lakshmi Yoga)
- कलानिधि योग(Kalanidhi Yoga)
- कुसुम योग(Kusum Yoga)
- हरिहर ब्रह्म योग(Harihar Brahma Yoga)
- दानी योग(Dani Yoga)
- व्याकरणि योग(Vyakarani Yoga)
- न्याय्शास्त्रग्य योग(Nyay shastrgya yoga)
- रज्जू योग(Rajju Yoga)
- मुशल योग(Mushal Yoga)
- नल योग(Nal Yoga)
- माला योग(Mala Yoga)
- सिंहासन योग(Sinhasana Yoga)
- एकावली योग(Aekavali Yoga)
- शत्रुहंता योग(Shatruhanta Yoga)
- राज हंस योग(Raj Hans Yoga)
- दोला योग(Dola Yoga)
- ध्वज योग(Dhvaja Yoga)
- पारिजात योग(Paarijaat Yoga)
- गदा योग(Gadaa Yoga)
- कमल योग(Kamal Yoga)
- वज्र योग(Vajra Yoga)
- छत्र योग(Chhatra Yoga)
- चक्र समुद्र योग(Chakra Samudra Yoga)
- चक्र योग(Chakr Yoga)
- समुद्र योग(Samudra Yoga)
- वसुमती योग(Vasumati Yoga)
- महा भाग्य योग(Maha Bhagya Yoga)
- शिव योग(Shiv Yoga)
- विष्णु योग(Vishnu Yoga)
- ब्रह्मा योग(Brahma Yoga)
- केदार योग(Kedar Yoga)
- दामिनी योग(Damini Yoga)
- विणा योग(Vina Yoga)
- धन योग(Dhan Yoga)
- लक्षाधिपति योग(Lakshadhipati Yoga)
- कोट्याधिश योग(Kotyadhipati Yoga)
- धनलाभ योग(Dhanlabh Yoga)
- अतिधनलाभ योग(AtiDhanlaabh Yoga)
- स्वपार्जित योग(Swapaarjit Yoga)
- भात्रू धनलाभ योग(Bhatru Dhanlaabh Yoga)
- मात्रु धनलाभ योग(Matru Dhanlaabh Yoga)
- पुत्र धनलाभ योग(Putra Dhanlaabh Yoga)
- शत्रु धन लाभ योग(Shatru Dhanlaabh Yoga)
- पितृ धनलाभ योग(Pitru Dhanlaabh Yoga)
- स्त्री धनलाभ योग(Stri Dhanlaabh Yoga)
- सर्व सम्पतिवान योग(Sarv Sampativaan Yoga)
- भास्कर योग(Bhaskar Yoga)
- बुध योग(Budh Yoga)
- प्रसादवान योग(Prasadvaan Yoga)
- राज लक्षण योग(Raj Lakshan Yoga)
- पुष्कल योग(Pushhkal Yog)
- गौरी योग(Gauri Yoga)
- कुर्म योग(Kurm Yoga)
- मुकुट योग(Mukut Yoga)
- गान्धर्व योग(Gandharv Yoga)
- सरस्वती योग(Saraswati Yoga)
- वाहन योग(Vaahan Yoga)
Experience based Raja Yoga (अनुभव के आधार पर राज योग)
ऊपर हमने आपसे ऐसे योग और राजयोग के बारे मे जानकारी शेर की है जो की ज्योतिष की विविध महत्वपूर्ण पुस्तकों मे दी गयी है| लेकिन अब हम आपको ऐसे ग्रह की स्थिति की जानकारी देंगे जो की राजयोग की तरह फल देती है|
- जब जन्म पत्रिका में दो से अधिक ग्रह उच्च के होकर बेठे हो तो उससे अभी राज योग का फल प्राप्त होता है|
- पांच या पांच से अधिक ग्रह का स्वग्रही होना भी अच्छा राज योग है|
- नीच का ग्रह वक्री होने पर राजयोग जैसा फल दे सकता है|
- दो से अधिक ग्रह जन्म पत्रिका में दिग्बल प्राप्त करने पर भी राजयोग का फल प्राप्त हो सकता है|
- नीच ग्रह की राशी का स्वामी उच्च का होने पर निचभंग राजयोग का निर्माण होता है|
- केंद्र और त्रिकोण भाव का स्वामी उच्च के या स्वग्रही होने पर भी राजयोग सामान फल मिल सकता है|
- चन्द्र और गुरु चौथे भाव और गुरु दशमे भाव में एक ही पत्रिका में स्थित होने पर राजयोग सामान फल मिलता है|
- सामान्य राजयोग पर गुरु की दृष्टि राजयोग को विशेष बनाती है|
- केंद्र में शनि उच्च की स्थिति में हो और नौवे या दशवे भाव के स्वामी से देखा जाता हो तो ऐसी स्थिति में राजयोग का निर्माण होता है|
- नवम भाव का स्वामी या दशम भाव का स्वामी उच्च का होकर अपनी उत्तमांश की स्थिति में बैठा हो तब भी वह ग्रह राज योग का निर्माण कर सकता है|
निष्कर्ष
संक्षेप में, ज्योतिष में राजयोग जन्म कुंडली में ग्रहों के शुभ संयोजन को संदर्भित करता है जो किसी व्यक्ति के जीवन में सफलता, समृद्धि और अधिकार की संभावना का संकेत देता है। माना जाता है कि ये संयोजन ग्रहों की स्थिति के आधार पर विशिष्ट गुण और लाभ प्रदान करते हैं। चाहे वह गजकेसरी योग हो, मालव्य योग हो, हंस योग हो, रूचक योग हो, भद्र योग हो या अन्य प्रकार, प्रत्येक राजयोग बुद्धि, धन, नेतृत्व, रचनात्मकता, संचार कौशल और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि जैसे अद्वितीय आशीर्वाद प्रदान करता है।
हमे आशा है की आपको हमारे द्वारा “Rajyoga in Astrology in Hindi | ज्योतिष मे राजयोग की सम्पूर्ण जानकारी” आपको पसंद आई होगी। अगर आपको इस जानकारी संदर्भ मे कोई प्रश्न है तो नीचे दिये गए कमेंट मे हमशे शेर कर सकते है।
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