Vowel Marks in Sanskrit| संस्कृत भाषा को सिखने के लिए वर्णमाला के बाद दुसरे नंबर पर जो महत्वपूर्ण है वह मात्राएँ (Vowel Mark in Sanskrit) है| इसीलिए आज के इस पेज में हम आपसे संस्कृत में मात्राएँ का उपयोग कैसे किया जाता है और इसे किस तरह लिखा जाता उसे समजेंगे|
Vowel marks in Sanskrit
मात्राएँ दरअसल में स्वर ही होते है जो हलन्त् व्यंजन के साथ जुड़ते है और व्यंजन को एक प[उरन रूप प्रदान करते है| इस तरह से व्यंजन को एक रूप से अलंकार भी कहा जा सकता है|
आम तौर पर देखा जाये तो एक हलंत व्यंजन पर 14 और एक अजन्त व्यंजन पर 13 प्रकार के Vowel Mark (मात्राएँ) लगाती है| यहाँ सभी मात्राएँ निचे दी गयी है|
- अ
- आ
- इ
- ई
- उ
- ऊ
- ऋ
- ॠ
- ए
- ऐ
- ओ
- औ
- अं
- अः
sanskrit मात्राओं का उदहारण
ऊपर हमने सभी मात्राओं को लिखा है जो दरअसल एक स्वर को प्रतिपादित करते है| अब हम इन सभी मात्रा को व्यंजन को साथ जोड़कर एक उदहारण से समजते है| सभी मात्रा को स्वर की साथ जोड़ने से व्यंजन क्या रूप बदलता है उसे निचे दिए गए कोष्टक से समजे|
व्यंजन | स्वर (मात्रा /Vowel Mark ) | परिणाम | उच्चारण कैसे करे (Pronounce) |
---|---|---|---|
क् | अ | क | ka |
क् | आ | का | kaa |
क् | इ | कि | ki |
क् | ई | की | kee |
क् | उ | कु | ku |
क् | ऊ | कू | koo |
क् | ऋ | कृ | kri |
क् | ॠ | कृ | kree |
क् | ए | के | ke |
क् | ऐ | कै | kai |
क् | ओ | को | ko |
क् | औ | कौ | kau |
क् | अं | कं | kan / kam |
क् | अः | कः | kah |
संस्कृत सिखने के लिए इन मात्राओं का महत्व अधिक है इन्ही की मदद से नए नए शब्द और शब्द से वाक्यांशों बनते है| यहाँ पर हमने इसे आपको english में भी इसका उच्चारण प्रदान क्या है ताकि समजने में आसानी रहे|
वर्णमाला को सिखना एवम याद रखना जरूरी है| लेकिन वर्णमाला के बाद संस्कृत भाषा मात्रा सीखना आवश्यक है|
अगर आपको संस्कृत के मात्रा (Vowel) सम्बन्ध में कोई भी प्रश्न है तो हमें कमेंट करके अवश्य पूछ सकते है| हम आपके सभी प्रश्न के उत्तर देने में सभी प्रयत्न करेंगे|यह लेख पढन के बाद आपकी संस्कृत सिखने की आगे के लिए यहाँ क्लिक करे|