Share meaning in Hindi शेयर क्या है?

Share meaning in Hindi शेयर क्या है?

Hello Be Expensive Reader….क्या आप जानते है की शेयर क्या होता है(share meaning in Hindi) उसकी price कैसे तय होती है और शेयर्स की Price कैसे बदलती हैं? अगर आप इस विषय में नहीं जानते है तो आपके लिए हमारा यह आर्टिकल share meaning in Hindi काफी उपयोगी होने वाला है|

इस लेख में हम आपको share meaning in Hindi के सदर्भ में काफी महत्वपूर्ण इनफार्मेशन देंगे| यहाँ पर हम Be Wealthy के इस हिस्से में शेयर बाज़ार के सदर्भ में सभी टर्म और ratio को आसान भाषा में समजा रहे है| साथ ही आगे हम आपको कैसे निवेश किया जाता है और कैसी सही स्टॉक का चुनाव किया जाता है उन सभी बातो को हम आपके साथ शेयर करेंगे| आज के इस लेख के माध्यम से share meaning in Hindi में इनफार्मेशन देंगे|

Share क्या है ?

शेयर के कई अर्थ होते है

Share meaning in Hindi = हिस्सा, अंश-विभाजन, भाग, अंश, योग, बाँटना

शेयर बाज़ार में भी शेयर का यही अर्थ होता है लेकिन एक कंपनी के सापेक्ष में होते है| शेयर मतलब किसीभी कंपनी का एक ऐसा छोटा हिस्सा/इकाई/एकम/शेयर जिससे कंपनी में मलिकी तय की जाती है| अगर कोई कंपनी के कुल 100 शेयर है और आपके पास उसी कंपनी के 25 शेयर है तो आप उस कंपनी के 25 % मालिक माने जाते है|

किसी भी कंपनी की शेयर की कुल संख्या को जानने के लिए निम्न लिखित सूत्र से हम जान सकते है|

Share Number = Market Capitalization / Share Price

तो यह इनफार्मेशन थी शेयर क्या है और शेयर के नंबर कैसे निकाले जाते है| अब हम आपको शेयर की price कैसे तय की जाती है उस पर इनफार्मेशन देते है|

Share meaning in Hindi || share kya hai

शेयर की price कैसे तय होती है ?

शेयर की price दो जगज पर अलग अलग सिस्टम से तय होती है| किसी भी शेयर की price को दो अलग अलग मार्किट में तय किया जाता है| primary market और secondary market

primary market में शेयर की price कैसे तय होती है?

primary market में शेयर की price को तय करने में सप्लाई और डिमांड का कोई रोल नहीं होता है| primary मार्किट में शेयर की price कंपनी के ओनर के द्वारा तय की जाती है| इसमे शेयर को IPO के नाम से जाना जाता है| जब भी कोई कंपनी नया कोई प्रोजेक्ट निकालती तो उसके लिए उसे पैसे की जरूरत होती है| कंपनी के ओनर के द्वारा पैसे की कमी के अनुसार IPO निकाला जाता है और भाव को रखा जाता है| IPO के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करे|

Secondary market में शेयर की price कैसे तय होती है?

अगर आप किसी भी कंपनी के शेयर की price जानते है तो वह secondary शेयर मार्किट में जो शेयर की price होती है वही होती है| यहाँ पर शेयर की price सप्लाई और डिमांड पर तय की जाती है| जब भी आप किसी शेयर की price तय करते है तो वह कोई कैलकुलेशन करके नहीं निकाली जाती लेकिन उस शेयर की अंतिम खरीदी या बिक्री कितने में हुई है वह price होती है जिसे हम शेयर प्राइस के रूप से जानते है|

बड़ी बड़ी कंपनी में शेयर की price दिन में कई बार बदलती है इसके पीछे यह कारण है की उन कंपनी के शेयर में दिन में कई तरह ट्रांजेक्शन(खरीद-बिक्री) होती रहती है| इस लिए जो भी अंतिम ट्रांजेक्शन(खरीद-बिक्री) हुई है वह price शेयर की price मानी जाती है| शेयर की प्राइस क्यों बदलती है ? उसे जानने के लिए share meaning in Hindi का यह लेख आगे पढिए?

शेयर की प्राइस क्यों बदलती है ?

पहले ही हमने आपको बता दिया की शेयर की जो price बदलती है वह secondary market में बदलती है और इसके पीछे कारण है डिमांड और सप्लाई| अब हम यह समजते है की डिमांड और सप्लाई कैसे शेयर की price को तय करते है|

शेयर में निवेशक दो प्रकार के होते है जैसे की एक होता है की उसे अगर कोई भी शेयर खरीदना या बेचना है तो वह भाव की जगह क्वांटिटी पर आधारित होता है उसे जो भी भाव मिले उसी से वह खरीद या बेचता है| दुसरे इन्वेस्टर इनसे काफी अलग और वह सिर्फ भाव पर ही फोकस्ड रहते है| यह अपने शेयर की खरीदी उन्होंने पहले से तय की हुई price पर ही करना चाहते है न की उससे कम या ज्यादा|

ऐसे में जब दो ऐसे इन्वेस्टर जो की अपनी price के साथ कुछ भी कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना चाहते है उनके बिच कोई भी डील होने की संभावना काफी कम होती है| अगर एक ऐसा व्यक्ति जो की क्वांटिटी पर यकीन रखता है और एक व्यक्ति जो की क्वालिटी(शेयर प्राइस) पर यकीन रखता है उन डोडो के बीच डील होने की संभावना काफी बढ़ जाती है|

जब भी ऐसे दो लोगो के बिच किसी भी र्पकारी की डील होती है और शेयर की खरीद बिक्री जिस price से होती है वाही शेयर की price होती है| ऐसे में अगर दो क्वांटिटी में यकीन रखने वाले के बिच अंतिम डील होती है तो कभी कभी शेयर की कीमत में गिरावट भी देखने को मिलती है|

यह तो थी एक आसान सिस्टम जिसे हम शेयर की प्राइस क्यों बदलती है उसे share meaning in Hindi में समजे लेकिन अब हम यह समजते है की शेयर की price बदलने में किन किन फैक्टर जिम्मेदार होते है|

शेयर की प्राइस बदलने में कोनसे फैक्टर जवाबदार होते है?

share meaning in Hindi में अब हम समजेंगे की शेयर की प्राइस बदलने में कोनसे फैक्टर जवाबदार होते है| निचे दिए गए दो फैक्टर की इन में ख़ास भूमिका होती है| यह हमारा एक एनालिसिस है जो की विभिन्न लोगो के लिए अलग अलग हो सकता है|

  • ओपिनियन, सर्वे या डील का रिटेल इन्वेस्टर पर प्रभाव
  • ओपिनियन, सर्वे या डील का इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर पर प्रभाव

ओपिनियन, सर्वे या डील का रिटेल इन्वेस्टर पर प्रभाव

रिटेल इन्वेस्टर से मतलब है की हमारे और आपके जैसे इन्वेस्टर जो खुद पैसे निवेश करते है| रिटेल इन्वेस्टर पर ओपिनियन, बड़ी सर्वे एजेंसी, के नए सर्वे, और कंपनी के डील और future growth का अधिक प्रभाव होता है| वे in सभी को देखा कर शेयर की खरीदी या बिक्री करते है ऐसे में उन्हें ओपिनियन, सर्वे या डील में कंपनी का future अच्छा दिखे तो शेयर की प्राइस बढ़ती है|

ओपिनियन, सर्वे या डील का इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर पर प्रभाव

इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर से मतलब है की वे बड़ी बड़ी कंपनी और ग्रुप जैसे की म्यूच्यूअल फण्ड एजेंसी और insurance company जिनके पास काफी पैसे होते है और इन्वेस्ट करने के लिए अच्छे सलाहकार भी होते है| वे पैसे निवेश करने से पहले काफी अच्छा रिसर्च करते है साथ ही ओपिनियन, सर्वे या डील को भी ध्यान में लेते है| इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर के द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय शेयर की प्राइस तय करने में काफी महत्वपूर्ण रोल निभाता है|

जब भी कोई इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर किसी भी कंपनी में निवेश करता है तो उसकी एक पॉजिटिव असर के कारण शेयर की कीमत बढ़ती है और अगर इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर पैसे निकालते है तो नेगेटिव असर के कारण शेयर की कीमत में भारी गिरावट भी आ सकती है|

हमें आशा है की आपको share meaning in Hindi में काफी महत्व पूर्ण इनफार्मेशन मिली होंगी| इस लेख share meaning in Hindi में हमने आपको शेयर क्या है?, शेयर की price कैसे तय होती है और शेयर की price में कैसे बदलाव आता है? साथ ही शेयर की price के बदलाव में कोनसे फैक्टर होते है इन सभी पर डिटेल में इनफार्मेशन दी है|

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Share meaning in Hindi The End

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