Types of Business in Hindi | बिज़नेस कितने प्रकार के होते हैं?

Types of Business in Hindi: क्या आप जानते है की बिज़नेस कितने प्रकार के होते हैं? यहाँ हमने आपसे बिज़नस के प्रकार(Types of Business in Hindi) की जानकारी आपसे शेयर की है|

Types of Business in Hindi

अधिकत्तर लोग यह चाहते है की वह जीवन में व्यवसाय के माध्यम से धन अर्जित करे लेकिन इसमे बहुत से कम लोग सफल हो पाते है| व्यवसाय करना आसान नहीं है इसे करने के लिए साहस के साथ बुद्धि की भिओ आवश्यकता होती है| इसे एक कला के रूप में देख सकते है जो की हर किसी के पास नहीं होती| लेकिन हां इसे कोई भी व्यक्ति विकसित अवश्य कर सकता है|

कोई भी व्यक्ति व्यवसाय करना चाहता हो उसे सबसे पहले व्यवसाय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले लेना आवश्यक है| यहाँ हमने आपसे इस website व्यवसाय के सन्दर्भ में काफी महत्वपूर्ण जानकारी आपसे शेयर की है| आज के इस लेख के माध्यम से हम बिज़नेस कितने प्रकार के होते हैं?(Types of Business in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे|

व्यवसाय के प्रकारों को दो भागो में विभाजित किया जा सकता है जिससे समजने में सरलता रहे| यहाँ हमने आपसे व्यवसाय के तरीको और उसके स्ट्रक्चर के आधार पर विभाजन करके व्यवसाय के प्रकार की जानकारी दी है|

  • Types of Business According to Business Model
  • Types of Business According to Structure

Types of Business According to Business Model in Hindi

बिज़नस मॉडल के aadhar पर व्यवसाय के छः प्रकार होते है जो की कुछ इस प्रकार के होते है|

  1. मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस
  2. सर्विस बिज़नेस
  3. रिटेल बिज़नेस
  4. फ्रेंचाइजी बिज़नेस
  5. डिस्ट्रीब्यूशन बिज़नेस
  6. मल्टी लेवल मार्केटिंग बिज़नेस
  7. जाइंट वैंचर
  8. सामाजिक उद्यम
  9. गैर लाभकारी संगठन
  10. सहयोगी
  11. सीमित देयता कंपनी (LLC)

मैन्युफैक्चरिंग बिज़नस

यह बिज़नस का वह प्रकार है जिसमे किसी भी प्रोडक्ट का उत्पादन करना होता है| इस व्यवसाय को करने के लिए जगह, वस्तुओं को उत्पादन करने के लिए मशीन और कच्चा सामान, मनुस्यबल इत्यादि की आवश्यकता होती है|

मैन्युफैक्चरिंग बिज़नस में विविध वस्तुओ का उत्पादन किया जाता है| अगर कोई नया व्यक्ति is बिज़नस में जाना चाहता है तो उसे सबसे पहले वस्तु की पसंदगी, बाजार में प्रतिस्पर्धा, अन्य प्रतिस्पर्धी की गुणवत्ता इत्यादि की जानकारी लेनी चाहिए|

इसे छोटे व्यवसाय के रूप में भी शुरू किया जा सकता है जैसे की बॉल पेन मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस, कंगन मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस इत्यादि| अगर आप भी अपना मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस शुरू करना चाहते है तो हमारा यह लेख अवश्य पढ़े जिसमे हमने आपसे मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस कैसे करे और किन बातो का ध्यान रखना चाहिए उसकी विस्तार से जानकारी दी है|

  • Manufacturing Business idea in Hindi?

सर्विस बिज़नस

सर्विस बिज़नस में विविध सेवा प्रदान करनी होती है| ये सेवा कस्टमर की मांग के आधार पर होती है| व्यवसाय में सबसे अधिक प्रभुत्व इसी व्यवसाय का है| बाल कटवाने की दूकान सलून, होटल, ट्रांसपोर्ट इत्यादि सभी सर्विसकरती बिज़नस में ही आते है क्योंकि यह किसी न किसी प्रकार ग्राहक को कुछ सुविधा प्रदान करने के पैसे चार्ज करते है|

यहाँ मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस की तरह वस्तु का उत्पादन नहीं करना होता है लेकिन इसमे मांग के aadhar पर सेवा प्रदान करनी होती है| इस व्यसाय को शुरू करने के लिए स्किल के साथ मार्केटिंग का अनुभव होना आवश्यक है|

यहाँ निचे हमने आपसे सर्विस बिज़नस के सन्दर्भ में सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपसे शेयर की है| जहा सर्विस बिज़नस शुरू करने में किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए और कुछ idea के बारे में भी जानकारी दी है|

Pros

  • मापनीयता,
  • कम ओवरहेड लागत,
  • विस्तृत बाजार
  • आवर्ती राजस्व,
  • ग्राहक निष्ठा,
  • लचीलापन

Cons

  • अमूर्तता,
  • मौसमी,
  • कुशल कर्मचारियों पर निर्भरता
  • गुणवत्ता नियंत्रण,
  • ग्राहक संतुष्टि,
  • प्रतिस्पर्धा।

रिटेल बिज़नस

इस प्रकार के व्यवसाय में आपको सामन बेचना होता है| यहाँ आप किसी भी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी से साम को खरीदते है और ग्राहकों की मांग के अनुसार उन्हें बेचते है|

यह व्यवसाय कम लागत में शुरू किये जा सकते है लेकिन इसमे प्रतिस्पर्धा भी काफी अधिक है| किराने की दूकान, कपड़ो की दूकान, सॉफ्ट ड्रिंक इत्यादि की दूकान सभी रिटेल व्यवसाय में आते है| रिटेल व्यवसाय को शुरू करने के लिए कुछ कुछ बातो का ध्यान रखना आवश्यक है| अगर आप जानना चाहते है की रिटेल व्यवसाय कैसे शुरू करे और कम लागत में शुरू होने वाले रिटेल व्यवसाय कौन से है जो अधिक मुनाफा दे तो हमारा निचे दिया गया लेख अवश्य पढ़े|

Pros

  • उच्च दृश्यता,
  • प्रत्यक्ष ग्राहक संपर्क,
  • विविध उत्पाद
  • बार-बार आने वाले ग्राहक,
  • ब्रांडिंग के अवसर,
  • स्थान का लचीलापन।

Cons

  • इन्वेंटरी प्रबंधन,
  • उच्च प्रतिस्पर्धा,
  • मौसमी
  • बढ़ती लागत,
  • बदलते उपभोक्ता रुझान,
  • सुरक्षा चिंताएँ।
  • जाने सब कुछ रिटेल व्यवसाय के बारे में

फ्रेंचाइजी बिज़नस

फ्रेंचाइजी व्यवसाय शुरू करना आसान होता है और इसमे सफल होने के चांस भी अच्छे होते है लेकिन सही फ्रेंचाइजी की पसंदगी की होनी आवश्यक है|

इस प्रकार के व्यवसाय में आपने जिस भी कंपनी की फ्रेंचाईज़ी ली है उसकी एक दूकान खोलनी होती है| इसके लिए आपको कंपनी में कुछ पैसे डिपाजिट के रूप में देने पड़ते है| फ्रेंचाइजी वाली कंपनी आपके लिए मार्केटिंग भी करती है|

Pros

  • सांस्कृतिक आकर्षण,
  • विविध ग्राहक,
  • अद्वितीय अनुभव
  • भाषा विसर्जन,
  • बाजार स्थान,
  • अंतर्राष्ट्रीय अवसर।

Cons

  • भाषा संबंधी बाधा,
  • सांस्कृतिक बारीकियाँ,
  • विनियामक चुनौतियाँ
  • स्टाफ़ संबंधी समस्याएँ,
  • अनुवाद लागत,
  • सीमित बाज़ार पहुँच।

अगर आप जानना चाहते है की फ्रेंचाइजी का बिज़नस कैसे किया जाता है और उसके लाभ और गेरलाभ क्या है| तो हमारा निचे दिया गया लेख अवश्य पढ़े जिसमे हमने आपसे अस्भी महत्वपूर्ण जानकारी शेयर की है|

  • फ्रेंचाइजी का बिज़नस के बारे में जाने सबकुछ

डिस्ट्रीब्यूशन बिज़नस

जब भी किसी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के द्वारा कोई भी वस्तु का प्रोडक्शन किया जाता है तब उसे बेचने के लिए रिटेल में दुकानों पहुचाया जाता है| डिस्ट्रीब्यूशन बिज़नस में मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के सामान को रिटेल दुकानों तक पहुचाना होता है|

अगर किसी कंपनी का सामान आपके एरिया में नहीं मिलता हो तो उस कंपनी के  डिस्ट्रीब्यूटर राइट्स आप खरीद सकते है जिससे सिर्फ आप ही उसका डिस्ट्रीब्यूशन आपके एरिया में कर सकते है|

Pros

  • व्यापक बाजार पहुंच,
  • कुशल रसद,
  • मापनीयता
  • सुव्यवस्थित संचालन,
  • विविध उत्पाद रेंज,
  • ग्राहक सुविधा।

Cons

  • इन्वेंटरी प्रबंधन,
  • प्रतिस्पर्धा,
  • उतार-चढ़ाव वाली मांग
  • परिवहन लागत,
  • आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान,
  • भंडारण चुनौतियाँ।

क्या आप जानना चाहते है की डिस्ट्रीब्यूशन बिज़नस क्या है और इसे कैसे शुरू किया जाता है, तो यह लेख अवश्य पढ़े जिसमे हमने आपसे डिस्ट्रीब्यूशन बिज़नस के बारे में सभी जानकारी दी है|

  • डिस्ट्रीब्यूशन बिज़नस के बारे में जाने सबकुछ

मल्टी लेवल मार्केटिंग बिज़नस

यह बिज़नस आईडिया आपकी कन्विंसिंग स्किल पर आधारित है, क्योंकि इस प्रकार के व्यवसाय में आपको अधिक से अधिक लोगो को अपने साथ लाना होता है|

यह कमीशन बेस्ड व्यवसाय है| जब भी आपके निचे जुड़ा व्यक्ति कंपनी का कोई सामन खरीदता है तो उसका कमीशन आपको मिलता है| जितने अधिक लोग आपके निचे हो और जितना अधिक सामान खरीदते है उतनी आपको कमाई अधिक होती है|

Pros

  • उच्च आय,
  • लचीला शेड्यूल,
  • पेसिव आय की संभावना
  • प्रशिक्षण और सहायता,
  • व्यक्तिगत विकास, नेटवर्क विस्तार।

Cons

  • प्रतिष्ठा संबंधी चिंताएँ,
  • कानूनी जाँच,
  • उच्च टर्नओवर दरें
  • गलत बयानी का जोखिम,
  • उत्पाद संतृप्ति,
  • भर्ती पर निर्भरता।

कई एसी कंपनी है जैसे की Amway, वेस्टीज, इत्यादि.. अगर आप इसके बारे में अधिक जानना चाहते है तो निचे दिए गए link पर क्लीक करे|

  • मल्टी लेवल मार्केटिंग बिज़नस कैसे शुरू किया जाता है|

तो यह थे बिज़नस मॉडल के aadhar पर व्यवसाय के छः प्रकार| अब हम आपको व्यवसाय की मालिकी और structure के आधार पर उसके प्रकारों की जानकारी दे रहे है|

Types of Business According to Structure and Ownership in Hindi

व्यवसाय की मालिकी और structure के आधार पर उसे निचे दिए गए प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है|

  • एकल स्वामित्व
  • साझेदारी
  • सीमित दायित्व भागीदारी
  • प्राइवेट लिमिटेड व्यवसाय
  • पब्लिक लिमिटेड व्यवसाय
  • एक व्यक्ति कंपनियां

एकल स्वामित्व वाला व्यवसाय

यह व्यवसाय का ऐसा प्रकार है जिसमे व्यवसाय का स्वामित्व किसी एक व्यक्ति के पास होता है| ऐसे व्यवसाय को शुरू करने के लिए रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती है|

इस तरह के व्यवसाय में होने वाले सभी लाभ और नुकशान एक व्यक्ति का होता है| साथ ही कोई भी निर्णय लेने में यह पूर्ण रूप से स्वतंत्रता देता है| यह व्यवसाय काफी कॉस्ट एफ्फेक्टिव भी होते है|

Pros

  • बनाना आसान और सस्ता
  • मालिक का पूरा नियंत्रण
  • पूरा लाभ सीधा मालिक को जाता है।
  • टैक्स की प्रक्रिया भी सरल

Cons

  • व्यावसायिक ऋणों के लिए असीमित व्यक्तिगत देयता
  • पूंजी जुटाना मुश्किल
  • मालिक के कौशल और क्षमताओं पर भारी निर्भरता

साझेदारी वाला व्यवसाय

यह व्यवसाय दो या दो से अधिक लोगो के द्वारा शुरू किया या चलाया जाता है| इस व्यवसाय में होने वाले लाभ और नुकशान सभी साझेदार में बाँट दिया जाता है| इस प्रकार के व्यवसाय को शुरू करने के लिए रजिस्ट्रेशन अवश्य करना चाहिए|

इस तरह के व्यवसाय में निवेशक अधिक विश्वास करते है साथ ही जवाबदारी का विभाजन होने से कंपनी का वहां अच्छी तरह से होता है| ऐसे व्यवसाय को चलाने के लिए Mutual trust सबसे महत्वपूर्ण है|

सीमित दायित्व भागीदारी

लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट 2009 के तहत इसे शामिल किया गया था| इसमे नुकसान या कर्ज के प्रति उनकी जिम्मेदारी उनके द्वारा किए गए निवेश तक ही सीमित है।

इस तरह के व्यवसाय को शुरू करने या उसमे भागीदारी करने के लिए कोई न्यूनतम पूंजी आवश्यकता नहीं होती| साथ ही इसमे भागीदारो की संख्या पर भी कोई लिमिट नहीं होती| ऐसे व्यवसाय को रजिस्ट्रेशन का खर्च भी बहुत कम आता है|

Pros

  • व्यक्तिगत संपत्तियों को व्यावसायिक ऋणों और देनदारियों से बचाया जाता है।
  • देयता को जोखिम में डाले बिना प्रबंधन में सक्रिय भागीदार की भागीदारी की अनुमति देता है।
  • लाभ और हानि व्यक्तिगत भागीदारों को पास होते हैं, जिससे दोहरे कराधान से बचा जा सकता है।
  • औपचारिक बोर्ड की आवश्यकता के बिना प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाता है।
  • पेशेवर सेवाओं के लिए सामान्य: वकीलों, एकाउंटेंट आदि जैसे पेशेवरों के लिए आदर्श संरचना।

Cons

  • जटिल गठन: सामान्य भागीदारी की तुलना में इसमें अधिक कागजी कार्रवाई और औपचारिकताएँ शामिल हैं।
  • अधिकार क्षेत्र में अलग-अलग विनियमों के अधीन।
  • साझेदार अपनी लापरवाही या कदाचार के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी हो सकते हैं।
  • साझेदारों के बीच मतभेद की संभावना, जिससे व्यवसाय संचालन प्रभावित हो सकता है।
  • कुछ उद्योग एलएलपी को निगमों की तुलना में कम विश्वसनीय मान सकते हैं।
  • निगमों की तुलना में पूंजी जुटाने और परिचालन का विस्तार करने में बाधाएं।
  • रिश्‍वत के लिए असीमित सुविधा

प्राइवेट लिमिटेड व्यवसाय

भारत के अधिकत्तर व्यवसाय और स्टार्टअप प्राइवेट लिमिटेड व्यवसाय ही है| क्योंकि यह काफी सूटेबल फोर्मेट है| इसके कई सारे फायदे है|

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को LLP(सीमित दायित्व भागीदारी) के मुकाबले अधिक लोन और फण्ड मिलता है| इसका कानूनी अस्तित्व होने के कारण इसपर मुक़दमा भी दायर किया जा सकता है और वे भी मुक़दमा चला सकते है| इस तरह के व्यवसाय को आसानी से पूरा या कुछ प्रतिशत में बेचा जा सकता है|

Pros

  • सीमित देयता संरक्षण,
  • पृथक कानूनी इकाई,
  • शाश्वत उत्तराधिकार,
  • विश्वसनीयता और विश्वास,
  • पूंजी तक पहुंच

Cons

  • विनियामक अनुपालन,
  • गठन लागत,
  • सीमित नियंत्रण,
  • प्रकटीकरण आवश्यकताएँ,
  • प्रशासनिक बोझ

पब्लिक लिमिटेड व्यवसाय

पब्लिक लिमिटेड व्यवसाय को शुरू करने के लिए कम से कम 7 व्यक्ति की आवश्यकता होती है| प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने से ज्यादा रेस्ट्रिक्शन होते है पब्लिक लिमिटेड व्यवसाय शुरू करने में|

इस तरह के व्यवसाय को शुरू करने में बड़ी लागत की आवश्यकता होती है| पब्लिक लिमिटेड कंपनी जनता से डिबेंचर और बॉन्ड जारी करके शेयर बाजार के माध्यम से पूंजी जुटाने की बढ़ी हुई क्षमता का आनंद ले सकती है।

Pros

  • व्यापक रूप से कारोबार किए जाने वाले शेयर,
  • पूंजी तक पहुंच,
  • सीमित देयता,
  • अलग कानूनी इकाई।

Cons

  • जटिल विनियमन,
  • उच्च निर्माण लागत
  • शेयरधारक नियंत्रण,
  • प्रकटीकरण आवश्यकताएँ

एक व्यक्ति कंपनियां

इस तरह की कंपनी की शुरुआत पिछले कुछ समय से ही हुई है जो की entrepreneurs को सुविधा प्रदान करने के लिए की गयी है| यह कंपनी किसी एक व्यक्ति की होती है उसका लाभ और नुकशान भी किसी एक व्यक्ति का ही होता है लेकिन ऐसी कंपनी को रजिस्ट्रेशन करने के लिए नॉमिनी की जानकारी देना आवश्यक है|

इसमे निर्णय में स्वतंत्रता होती है साथ ही इस संरचना के माध्यम से, एक व्यक्ति व्यक्तिगत संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बिना व्यवसाय में अधिक मात्रा में जोखिम उठा सकता है।

यहाँ हमने पासे कंपनी के सभी प्रकारों की जानकारी शेयर की है| यहाँ निचे हमने व्यवसाय के प्रकार(Types of Business in Hindi) के सन्दर्भ में सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर दिए है| अगर आपको Types of Business in Hindi विषय में कोई और प्रश्न है तो निचे दिए गए कमेन्ट box में हमसे पूछ सकते है|

FAQs – Types of Business in Hindi

सबसे अधिक परेशानी मुक्त व्यवसाय संरचना कौन सी है?

एक एकल स्वामित्व का पालन करने के लिए न्यूनतम कानूनी दायित्व हैं।

क्या एक व्यक्ति की कंपनी को जारी रखने पर कोई प्रतिबंध है?

एक ओपीसी के लिए, इसका कारोबार INR 20 करोड़ (भारतीय रुपये बीस करोड़) को पार नहीं कर सकता है और भुगतान की गई पूंजी INR 2 करोड़ (भारतीय रुपये दो करोड़) तक सीमित होनी चाहिए।

एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कितने शेयरधारक हो सकते हैं?

शेयरधारकों की अधिकतम संख्या एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पास 200 (दो सौ) हो सकते हैं।

कोई व्यक्तिगत संपत्ति को व्यावसायिक नुकसान से कैसे बचा सकता है?

एलएलपी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरू करने से निवेशकों की देनदारियां सीमित हो सकती हैं। व्यक्तिगत संपत्ति को व्यावसायिक नुकसान से बचाया जा सकता है|

कौन सा कंपनी मॉडल असीमित फंड डालने की अनुमति देता है?

एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी जितनी आवश्यक हो उतनी पूंजी प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम है।