क्या आप जानते है की आसन क्या है(What is Asana in Hindi) और इसे कैसे किया जाता है| अगर नहीं जानते है की आसन क्या है तो यह लेख(What is Asana in Hindi) आपके लिए काफी उपयोगी है|
इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ आसन क्या है(What is Asana in Hindi), आसान के प्रकार क्या है(Types of Asana in Hindi), आसन की संख्या कितनी है, आसन करने समय कितनी सावधानी राखनी चाहिए उन सभी पर अच्छे से इनफार्मेशन देंगे जिसे आपको आसन क्या है उसे समज आये और अच्छा लाभ ले सके|
आसन को महर्षि पतंजलि ने अष्टांगयोग के तीसरे अंग के रूप में दर्शाया है| आसन शब्द संस्कृत “असि ” धातु पर से आया है | आसन का सामान्य अर्थ है बैठक, बैठना, या कोई विशिष्ट प्रकार की स्थिति को प्राप्त करना| महर्षि पतंजलि ने आसन को अष्टांग योग में परीभाषित करने के लिए सूत्र दिया है की “स्थिरसुखामासनम” अर्थात ” स्थिरता के साथ की सुखदायक स्थिति को प्राप्त करना” शरीर में चंचलता न हो, स्थिरता के साथ सुखदायक स्थिति का अर्थ है आसन
“महर्षि पतंजलि ने आसन को कभी भी कष्ट के साथ करने की सलाह नहीं दी है| बिना कष्ट के साथ लम्बे समय तक शारीरिक और मानसिक स्थिरता के साथ शरीर का नियंत्रण आसन की मुलभुत आवश्यकता है |”
आसन क्या है(What is Asana in Hindi)
“आसन किसी भी प्रकार से व्यायाम नहीं है परन्तु यह एक मानसिक क्रिया अधिक है “
महर्षि पतंजलि ने आसन को सिर्फ तीसरे अंग के रूप में दर्शाया है और आसन को “स्थिरसुखामासनम” कह कर परिभाषित किया है| महर्षि पतंजलि के द्वारा आसन की किसी भी स्थिति को नहीं दर्शाया है| लेकिन अलग अलग योगगुरु और अनुभवी के द्वारा इसे प्रकृति की विभिन्न स्थिति के अनुरूप बनाया है|
पतंजलि के द्वारा आसान के परिणाम के लिए “ततो द्वंद्वोनेभिधान:” अर्थात इससे द्वंद्वो को अघात नहीं लगता है|आसान करने से रजोगुण और तामसिक गुणों का नाश होता है और सात्विक गुणों का विकास होता है|
आसन के प्रकार(Types of Asana in Hindi)
आसन को इसके द्वारा जो भी असर होती है उसे आधार बनाकर तिन भागो में विभाजित किया जाता है| आसन के तीनो प्रकार निचे दिए गए है|
- ध्यानात्मक आसन
- स्वास्थ्यवर्धक आसन
- आरामदायक आसन
अब आसन प्रकार को विस्तार से समजते है|
ध्यानात्मक आसन (Meditative Asana)
जिस भी आसन का मुख्य हेतु लम्बे समय तक करने से थकान न लगे और स्थिरता एवम सुख की अनुभूति हो इसे ध्यानात्मक आसन कहा जाता है| इसे ध्यानप्रेरक आसन भी कहा जाता है| इसके द्वारा मन को शांति की अनुभूति होती है| मानसिक चंचलता में कमी और तनाव घटता है| इस प्रकार के आसन से अध्यात्मिक उन्नति की जा सकती है| इसमे मुख्यत्वे पद्मासन, वज्रासन, भद्रासन, स्वस्तिकासन का समावेश होता है|
स्वास्थ्यवर्धक आसन (Health Improving Asana)
स्वास्थ्यवर्धक आसन आसन का मुख्य हेतु शरीर का स्वास्थ्य बढाने का है| अधिकतर आसन स्वास्थ्यवर्धक आसन की कक्षा में आते है| इस आसन में पेट के अन्दर के अंग और रीड की हड्डी पर अधिक महत्व दिया जाता है| पुरे शरीर का आधार करोड़ ही है और इसे मजबूत बनाने के लिए यह आसन काफी महत्वपूर्ण है| इसमे मुख्यत्वे उत्तानपाद आसन, भुजंगासन, हलासन, धनुरासन, गोमुखासन, और पवनमुक्त आसन जैसे महत्वपूर्ण आसान का समावेश होता है|
आरामदायक आसन (Comfort Giving Asana)
आरामदायक आसन मानसिक और शारीरिक थकान को दूर करने के लिए और शरीर को सम्पूर्ण शिथिल बनाने हेतु उपयोग किया जाता है| इस प्रकार के आसन को मुख्यत्वे दो आसनको के बिच में किया जाता है जिसे थकान दूर हो और शरीर में शिथिलता की प्राप्ति हो| इसमे शवासन, मकरासन और बालकासन मुख्य माने जाते है|
पूरक आसन क्या है? (What is Purak Asana in Hindi?)
किसी भी आसन करने से पहले पूरक उस आसन के पूरक आसन के सन्दर्भ में इनफार्मेशन होनी आवश्यक है| आसन को पूरक आसन के साथ करने से वह शरीर में सन्तुलन के साथ नाडी तंत्र और ग्रंथियों में भी संतुलन लाते है| इससे आसन का मुख्य ध्येय जल्द से पूर्ण होता है|
आसन/पूरक आसन | पूरक आसन/आसन |
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सर्वांगासन | मत्स्यासन |
हलासन | मत्यासन, सुप्त वज्रासन |
भुजंगासन | शलभासन |
पश्चिमोतानासन | उष्ट्रासन |
आसन करते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए(Precaution in Hindi for doing Asana )
- आसन को सुबह के समय या संध्याकाळ के समय ही करना उत्तम है|
- आसन को करने के लिय पेट को खाली होना आवश्यक है| सुबह शौच क्रिया करने के बाद आसन किया जाता है|
- प्रवाहि लेने के बाद आधे घंटे और खाना खाने के बाद चार घंटे के समय के पश्चात ही आसन करना सही होता है|
- आसान करने से पूर्व कुछ योगिक क्रिया, शवासन या पूरक आसान करना चाहिए जिसे करने से मन शांत होता है|
- आसन करने की जगह समतल होनी चाहिए और निचे अच्छा सा आसन होना चाहिए| उन से बना आसान सबसे उत्तम है|
- इसे करते समय कभी भी जटके से नहीं करना चाहिए, आसन करने की संख्या धिरी धीरे बढानी चाहिए|
- आसन करते समय हलके कपडे पहनने चाहिए और हो सके तो सिर्फ लंगोट में ही आसन को करना चाहिए|
- आसन करात्ते समय श्वास का नियंत्रण काफी जरूरी है| आसन करते समय श्वास लेने को पूरक क्रिया, श्वास को अन्दर रखने को कुम्भक क्रिया और श्वास को छोड़ने को रेचक क्रिया के रूप में जाना जाता है|
- आसन को पूर्ण करने के बाद शवासन या मकरासन अवश्य करना चाहिए|
- इसे करने के बाद आधे घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए|
- आसन करने के बाद अत्यधिक व्यायाम नहीं करनी चाहिए|
- मानसिक प्रसन्नता के लिए आप पुष्प या धुप का प्रयोग करना चाहिए|
आसन की संख्या(How many Asana in Hindi)
आसन की संख्या के बारे में काफी अनिश्चितता है| कई लोगो के द्वारा 84000 जितने आसन होने की बात कही जाती है| लेकिन अभी सिर्फ 84 आसन ही उपलब्ध और प्रचलित है| महर्षि पतंजलि के द्वारा एक भी आसान के बारे में कोई भी इनफार्मेशन नहीं दी गयी है| महर्षि पतंजलि ने आसन की सिर्फ परिभाषा ही दी है| दुसरे प्राचीन रूशी के द्वारा कुदरत के विविध रूप को आधार बना कर आसन को निर्देशित किया है|
पशु-पक्षी, जिव-जंतुओं, वनस्पतियों, पुष्प, जैसे प्रकृतिक वस्तु के सूक्ष्म अवलोकन के द्वारा विशिष्ट गुण और आकार को ध्यान में लेकर आसन की रचना की गयी है| उदहारण के तौर पर मयूर(Peacock) पर से मयूरासन, मछली पर से मत्यासन, नाग पर से भुजंगासन ऐसे प्राकृतिक वस्तु पर से आसन के नाम दिए गए है|
हमें आशा है की आपको आसन क्या है, आसान के प्रकार क्या है, आसन की संख्या कितनी है, आसन करने समय कितनी सावधानी राखनी चाहिए उन सभी पर अच्छे से इनफार्मेशन मिली होगी| अगर आपको अभी भी आसन क्या है और उससे सम्बंधित कोई भी प्रश्न है तो आप हमें पूछ सकते है| कमेंट कर करके आपके अभिप्राय और प्रश्न अवश्य हमसे शेयर करे| धन्यवाद|
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