3D Printer in Hindi
वेसे तो 3D प्रिंटर का इतिहास 1980 से शुरू हुआ है लेकिन तब यह तकनीक इतनी विकसित और सस्ती नहीं थी| आज यह तकनीक पहले के मुकाबले काफी अडवांस और सस्ती भी है| आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको 3D प्रिंटर के सन्दर्भ में काफी इम्पोर्टेन्ट इनफार्मेशन देंगे| हमें आशा है की आपको हमारी यह इनफार्मेशन पसंद आयेगी|
3D Printer क्या है|
यह एक ट्रेडिशनल प्रिंटर की तरह ही एक प्रिंटर है| ट्रेडिशनल प्रिंटर में इनपुट डाटा का आउटपुट एक पेपर में निकालता है 2 Dimension में होता है लेकिन इस प्रिंटर के द्वारा निकलता आउटपुट 3 Dimension में होने की वजह से इसे 3D प्रिंटर कहा जाता है| एक अलग नजरिये से देखे तो इसे प्रिंटर की जगह manufacturing मशीन कहे तो बहेतर होगा क्योंकि वह आपको डिफरेंट तरह के ऑब्जेक्ट को बना कर देता है| जो भी हो अब बात करते है की 3D Printer कार्य कैसे करता है|
3D Printer कार्य कैसे करता है|
एक सामान्य प्रिंटर की सिस्टम की तरह ही 3D प्रिंटर कार्य करता है जैसे इनपुट > प्रोसेसिंग > आउटपुट
इसमे इनपुट में दिए जाने वाले डाटा डायमेंशन में होते है, जिसे एक स्पेशल सॉफ्टवेर से इनपुट किये जाते है और आउटपुट में 3D Object बनता है| 3D में Additive manufacturing तकनीक के जरिये कार्य होता है| Additive manufacturing तकनीक में रो मटेरियल को ऐड करके डिजायर ऑब्जेक्ट को बनाया जाता है| इस तकनीक में रो मटेरियल का waste काफी कम होता है|
Subtractive manufacturing इससे अलग होती है| Subtractive manufacturing में पहले एक चोकोर या कोई पहले से निर्धारित आकार का रो मटेरियल होता है जिसमे से waste को दूर कर नया ऑब्जेक्ट बनाया जाता है
प्लास्टिक और मेटल के लिए 3D Printer की कार्य प्रणाली अलग अलग है|
plastic 3D Printer कैसे कार्य करता है|
plastic 3D Printer के लिए fused deposition modeling (FDM) तकनीक का प्रयोग होता है| जिसमे रो मटेरियल के तौर पर प्लास्टिक का प्रयोग होता है जिसे हीट के द्वारा गर्म किया जाता है और Layer by layer सेट करके इच्छित Object को बनाया जाता है|
Metal 3D Printer
स्टील, निकल, कोबाल्ट जैसे मेटल के ऑब्जेक्ट बनाने के लिए Direct metal laser sintering (DMLS) सिस्टम का प्रयोग किया जाता है| इस तकनीक में जो भी ऑब्जेक्ट को बनाना होता है उसे काफी लेयर में डिवाइड कर दिया जाता है बाद में बाद में निचले लेयर पर लेसर की मदद से accurate design बनाकर उस पर मेटल का नया लेयर चढ़ाया जाता है| नए लेयर पर फिर से लेज़र कार्य कर दुसरे लेज़र में जो भी डिजाईन है वो बनायीं जाती है| इस तरह सभी लेयर को एक पर एक सेट करके Object बनाया जाता है|
Benefits of 3D printer
3D printer के माध्यम से आप किसीभी काम्प्लेक्स डिजाईन को आसानी से बना सकते है|
इसके माध्यम से प्रोडक्ट के आउटपुट में समय कम लगता है और कीमत भी कम होती है|
3D printer में वस्तु की क्वालिटी और consistancy अच्छी मिलती है|
Fun fact: भविष्य में अगर 3D printer घर पर हो और घर पर किसी चीज़ की कमी हो जैसे की चमच या कप तो आसानी से घर पर बना सकते है| वो भी अपनी पसंद की डिजाईन में….
हमें आशा है की आपको हमारी और आपको शेयर किया गया 3D printer पर का यह आर्टिकल पसंद आया होगा| अगर आप 3D printer in hindi के सन्दर्भ में कोई भी प्रश्न है तो कमेंट कर सकते है| हम आपको इनफार्मेशन देने का जरूरी प्रयास करेगे|
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